*Breaking: ऐसा भ्रष्टाचार की गांववालो ने ही दिखा दिया, तकनीकी इंजीनियर की जरूरत नहीं रही // जो दिख रहा उससे आंख नहीं मूद सकते, // गोवर्दहा बांध के पिचिंग के पत्थर धसे कमीशनखोरी हुई प्रमाणित // जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट कमीशनखोर अधिकारियों का कारनामा // संविदा कल्चर का नतीजा यह कि किसी की जवाबदेही भी तय करना हुआ मुस्किल // सब मिल बांट कर खाओ वाली कल्चर का हो चुका है आगाज // जनता किसके पास गुहार लगाए किससे शिकायत करें बड़ी विडंबना //*
दिनांक 17 जून 2023 रीवा मध्य प्रदेश।
जल जीवन जागरण यात्रा का दौर जारी है। इस बीच परंपरागत वाटर स्ट्रक्चर जैसे माइनर टैंक बांध जलाशयों, नहरों और तालाबों का निरीक्षण किया जा रहा है और उनकी भौतिक स्थिति का एक एक करके जायजा लिया जा रहा है। आपने पिछले कई एपिसोड में देखा कि किस तरह से रीवा जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा बनाए गए माइनर टैंकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए वरिष्ठ इंजीनियर और अधिकारी कमीशन का खेल खेल रहे हैं। बांधों और नहरों के रखरखाव के लिए आने वाली जनता के टैक्स के पैसे की राशि का बंदरबांट कर लिया जा रहा है।
*गोवर्दहा बांध की स्थिति का एक आंकलन: पाइपिंग और गड्ढों के बाद अब पिचिंग की हालत खस्ताहाल*
मऊगंज हनुमना क्षेत्र के गोवर्दहा माइनर टैंक का निरीक्षण किया गया जिसमें जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार और बाणसागर डैम के रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा के साथ एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी और आसपास के ग्राम क्षेत्र के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान गांव वालों ने गोवर्दहा बांध के पिचिंग एरिया में घुसकर एक-एक कर जल संसाधन विभाग के काले कारनामों की बखिया उधेड़ दी है।
*बाणसागर नगर मंडल और गंगा कछार से जुड़े हुए अधिकारियों की नींद हराम*
पता चल रहा है कि जल संसाधन विभाग गंगा कछार में एसी की हवा खाते हुए अधिकारियों के नींद उड़ चुकी है और खेमे में खलबली मची हुई है। बताया जा रहा है कि इन अधिकारियों को सिर्फ एक ही डर सता रहा है कि कब उनके भ्रष्टाचार की पोल खोल का नंबर लगने वाला है। हालत यह है की कार्यपालन यात्रियों, अधीक्षण यंत्री और चीफ इंजीनियर को रात में नींद नहीं आ रही है और डॉक्टर से नींद की दवा तक लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो संविदा कल्चर का लाभ उठाकर अपने आकाओं को मोटी रकम पहुंचाकर प्रभार में अधीक्षण अभियंता और चीफ इंजीनियर का पदभार खैरात में पाने वाले भ्रष्टाचारियों के ऊपर अब जांच भी बैठने वाली है।
*चुनावी वर्ष में सरकार की किरकिरी, अब मंत्रालय स्तर से गिरेगी कार्यवाही की गाज*
जानकारी यह भी प्राप्त हो रही है कि जिस प्रकार से पूरा मामला महीनों से मीडिया और सोशल मीडिया में छाया हुआ है ऐसे में सरकार की काफी छवि खराब हो रही है और काफी किरकिरी भी हो रही है और ऐसे में मंत्रालय स्तर से कार्यवाही का दबाव बढ़ गया है। अब जाहिर है जिस जिले में स्वयं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आकर किसानों की आय दोगुनी करने की बातें कर रहे हो और फिर उसी जिले में भ्रष्टाचार का इतना बड़ा भंडाफोड़ हो जाए तो फिर यह समझने में देरी नहीं लगनी चाहिए कि स्थितियां क्या होंगी। यह तो स्पष्ट हो चुका है की इतना बड़ा गंगा कछार जल संसाधन विभाग और बाणसागर नहर मंडल के होते हुए विंध्य क्षेत्र और रीवा संभाग में किस प्रकार नहर परियोजनाओं और माइनर टैंकों का बंटाधार कर दिया गया। भाजपा सरकार ने अपनी छवि को दुरुस्त करने के लिए अब जिले के कलेक्टर को भी ग्राउंड पर उतार दिया है और आपने देखा कि कैसे पिछले दिनों रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल भी बीपीटी टैंक अर्थात ब्रेक प्रेशर टैंक रघुराजगढ़ सहित अन्य नहरों से संबंधित परियोजनाओं का निरीक्षण कर अधिकारियों को कड़े शब्दों में दिशा निर्देश भी दिए हैं।
आपको जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि गांव के बुजुर्ग और आम नागरिकों ने भी जल संसाधन विभाग के काले कारनामों की एक-एक करके पोल खोल दी और बांध के अंदर और बाहर घुसकर इनकी एक-एक तकनीकी कमियों को उजागर कर दिया जिससे यह भली-भांति स्पष्ट हो गया की किस प्रकार भ्रष्ट कमीशनखोर अधिकारियों की मिलीभगत के साथ ठेकेदारों और जल उपभोक्ता समितियों ने रीवा के महत्वपूर्ण वाटर स्ट्रक्चर का बंटाधार कर दिया।
आइए अब आपको कुछ वीडियो फुटेज और वरिष्ठ अधिकारियों और ग्रामीणों के बयान सुनाते हैं जहां यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस प्रकार से जल संसाधन विभाग का भ्रष्टाचार जाने का नाम नहीं ले रहा है और जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए मंत्रालय स्तर के आला अधिकारी मात्र अपने शेयर पर नजर गड़ाए हैं और मुंह में राम बगल में छुरी की माफिक ऊपर से तो किसानों की आय दोगुनी चौगुनी करने के कसीदे पढ़ रहे हैं लेकिन अंदर की सच्चाई कुछ और ही है जो सबको दिखाई जा रही है।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*



